Varun Kumar Jaiswal

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Saturday 22 November, 2008

क्या आप राजनीति में जाना चाहते है ........?


काफी दिनों से मैं इस विषय पर लिखने की बात सोच रहा था , लेकिन विषय अत्यधिक क्लिष्ट होने के कारण सोच- विचार करने में बहुत समय लग गया | आज का लेख मैं भारतीय राजनीति में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए अपनी तरफ़ से मानक दृष्टिकोण बनाने की सहायता के लिए लिख रहा हूँ | अब समय गया है की राजनीति को यदि पूरी तरह से मानकों के अनुसार विकसित नही किया गया तो हमारी यह भारत माता खंड-खंड होकर बिखर जायेगी | आप शायद सोच रहे होंगे की इस विषय की प्रासंगिकता क्या है और कौन इन मानकों का पालन करेगा ?
राजनीति के लिए मानकों की नहीं धनबल , बाहुबल और भाई-भतीजावाद को पुष्ट करने की आवश्यकता अधिक है |
शायद आप सही हो सकते हैं , किंतु इस दशा की भी अपनी एक सीमा है | मैंने २०२० ईसवी के भारत के राजनैतिक परिदृश्य की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए मानकों को रखने की कोशिश की है | डॉ अब्दुल कलाम ने २०२० के भारत को महाशक्ति बनाने के लिए बहुत ही क्रमबद्ध रूप में अपने विचारों को जनता के सामने प्रस्तुत किया था | डॉ कलाम एक वैज्ञानिक से राजनैतिक धुरी में आए थे अतः उन्होंने भारतीय गणराज्य को आर्थिक एवं
सामरिक महाशक्ति बनाने के उद्देश्य से मानकों का प्रस्तुतीकरण किया था | आज २००८ में भारत डॉ कलाम के स्वप्नों की दिशा में बढ़ता हुआ भी दिखाई दे रहा है | इस बात में कोई संदेह शायद ही किसी को हो कि हम अगले दो दशको में आर्थिक और सामरिक महाशक्तियों में उच्च दर्जे के राष्ट्र के रूप में शुमार किए जायेंगे | लेकिन एक पक्ष और भी है भारत की लोकतान्त्रिक शक्ति के रूप में उभार नहीं हो पा रहा है , इस बात के मायने बहुत ही गंभीर परिणामों की ओर इशारा करते हैं | जाने अनजाने ही भारतीय जनमानस उच्च स्तरीय राजनैतिक नेतृत्व हीनता को झेलने के लिए विवश होता जा रहा है , आख़िर क्यों ऐसा होता है कि हम आज एक ओबामा सरीखे नेता के लिए तरस रहे हैं , और देश बहुत से दागी नेताओं को अपनी छाती पर मूंग दलते हुए देखने को विवश है ?
मेरी समझ में इसका एक ही कारण है राजनीति की मानक प्रेरणाओं को समझ पाने का अभाव | क्या है यह प्रेरणाएं ?
आज के समय में विश्व राजनीति मानवीय सभ्यता के इतिहास जितनी ही पुरानी है , किंतु आधुनिक विश्व की राजनैतिक परिस्थितियाँ काफ़ी बदल चुकी हैं | आज विश्व की सम्पूर्ण व्यवस्था एक- दूसरे पर निर्भर करती है |
आज की राजनीति किसी भी प्रकार से आम जनता से नहीं बल्कि जनता को नियंत्रित करने वाले कारकों तक नेताओं की पहुँच पर निर्भर करती है | तो भावी राजनेताओं को यह समझना ही होगा की सिर्फ़ सेवा की भावना से आप जनता को कभी संतुष्ट नहीं कर पायेंगे | वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसकी काफ़ी घटनाएँ देखने को मिलती हैं | आचार्य विनोबा , महात्मा गाँधी , जयप्रकाश नारायण, कुशाभाऊ ठाकरे ये सभी लोग सिर्फ़ जनसेवक बनकर रह गए | सत्ता को प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित करने की क्षमता होने के पश्चात भी इन सभी की कोई राजनैतिक सर्वमान्य छवि होने के कारण आज देश को राजनैतिक शून्यता की स्थिति से दो-चार होना पड़ रहा है | सेवा संत का कर्म है नेता का नहीं | नेता का कर्म संत को सेवा का अवसर देना है , ताकि संत सभी प्रकार के बाह्य और आंतरिक दबावों से मुक्त होकर के जनता की सेवा कर सके उसे सन्मार्ग दिखा सके | गाँधी और नेहरू जी की जुगलबंदी ने इसी राजनैतिक धर्म का पालन करते हुए स्वतंत्रता आन्दोलन में अतुलनीय भूमिका निभाई | स्वतंत्रता के पश्चात महात्मा गाँधी ने पंडित नेहरू का समर्थन उनके व्यक्तिगत दर्शन से प्रभावित होकर किया था जो कि सर्वाधिक प्रभावशाली साबित हुआ | अर्थात यह कि यदि आपको गाँधी जी के जैसे संत का समर्थन चाहिए तो स्वयं के दमदार दर्शन जो कि मानवतावाद पर आधारित हो, का निर्माण करना पड़ेगा |
अब प्रश्न यह उठता है कि कैसे इस तरह के दर्शन का निर्माण किया जाए ?
दर्शन को समझने के लिए दर्शन का अद्ध्ययन आवश्यक है |
माओत्से , लेनिन , लिंकन , गाँधी , हिटलर इन सभी के सम्यक दर्शनों ने समकालीन विश्व की राजनीति में भूचाल पैदा कर दिया था | आज जितने युवाओं ने नेता बनने का स्वप्न पाल रखा है उनमे से कितने लोगों ने महान राजनैतिक हस्तियों के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश की है ? मेरा यह मानना है की आज का विश्व भी कमोबेश उतनी ही चुनौतियों से जूझ रहा है तो यह बात भी अपनी जगह प्रासंगिक है |
यदि आप भी उच्च स्तर के राजनेता बनना चाहते है तो प्रथम चरण है शिक्षा की अनिवार्यता ! जब हम विश्व के महान राजनैतिक चिंतको की बात करते हैं तो एक बात स्पष्ट है की वे सभी जीवन की घोर कठिनाइयों से जूझते हुए भी स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने में सफल रहे थे | स्तरीय शिक्षा से आशय नेता को मानवीय संवेदनाओं एवं भौतिक उन्नति की समझ के प्रति शिक्षित होने से है | अधिकतर नेताओं ने यह शिक्षा स्वाध्याय से अर्जित की थी | अब आप को यह सोचना है की आप यह कैसे करेंगे ?
द्वितीय चरण में आप को देश के भौगोलिक वातावरण का स्वयं अनुभव करना पड़ेगा | भारत ३१५०००० वर्ग किमी में विस्तृत एक उपमहाद्वीप है | यह गणराज्य २८ राज्यों , केन्द्र शासित क्षेत्रों में बँटा हुआ है | यहाँ १८ भाषाएँ , ३०० बोलियाँ , १२ धर्म, १८५० जातियां , १५० से भी ज्यादा लोक- कलाएं पई जाती है | यदि आप को इस भू-भाग के जनमानस में अपनी पैठ बनानी है और राजनैतिक निर्णयों की क्षमता भी विकसित करनी है तो कदम घर के बाहर निकालिए और तटस्थ देशाटन अर्थात भ्रमण करिए |
तीसरे चरण में धर्म , दर्शन , इतिहास , और वाद का सम्यक अद्ध्ययन करना चाहिए | इसमें संस्कृति के व्यापक पहलुओं को बगैर किसी पूर्वाग्रह के शामिल करके वर्तमान और भविष्य में उनकी उपादेयता की कठिन विवेचना भी होनी ही चाहिए |
चौथे चरण में आप विज्ञान और अर्थ-जगत के पहलुओं पर अपना संक्षिप्त दृष्टिकोण विकसित करने की प्रक्रिया से होकर गुजर सकते हैं |
पाँचवे चरण में देश की वर्तमान राजनीति की दशा एवं उसमे आपकी प्रासंगिकता की आत्मनुशासनपूर्वक जांच करने की कोशिश भी करिए |
छठे और अन्तिम चरण में यूँ तो अब आप सक्रीय राजनीति में कदम रखने को पूरी तरह से तैयार हैं लेकिन मन में दुर्बलता का नाश करने के लिए और सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाने हेतु साधना एवं योग की व्यापक दीक्षा लेना उचित होगा |
हमें ऐसा लगता है की उपर्युक्त चरणों को पूरी तरह से समर्पण की भावना से यदि किसी युवा ने पूरा किया तो उसे अपने जीवन के मात्र - वर्ष देने पड़ेंगे | यह समयावधि राजनीति के मानकीकरण के लिए बहुत ही उचित है , क्योंकि इस प्रकार की कठिन राजनैतिक पाठशाला से होकर जो युवक राजनीति में आयेंगे वो अवश्य ही राष्ट्रहित को सर्वप्रधान रखते हुए निर्णय लेने की क्षमता से युक्त होंगे |
युवाओं मेरा आपसे आह्वान है की राजनीति आप के लिए है आप राजनीति के लिए नहीं अतः भारत माँ को इन नाकारा राजनेताओं से मुक्त कराने का कर्तव्य भी हम सभी का है | यदि हमने यह तपस्या पूरी करके अपना स्वयं का व्यक्तिगत दर्शन विकसित कर लिया तो गांधी जैसा ही कोई संत हमारा मार्गदर्शक बनकर भारत को विश्व की सर्वोच्च महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर कर देगा |
२०२० के लिए यही हमारा लक्ष्य है | क्या आप मेरे साथ हैं ?????? आइये हम एक नए भारत का निर्माण करें |
सत्यमेव जयते |

4 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत ही सुंदर बातें लिखी है आपने। आशा है , राजनीति में रूचि रखनेवाले चरित्रवान युवक आपकी बातों को समझेंगे।

विवेक सिंह said...

राजनीति तो हम में आई नहीं अभी :)

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

rajneeti sam-samyik paridrishy itna bhrasht ho chuka hai ki yuva ab iss vishay par baat karne se katraate hain .
aise men aapka yah lekh yuvaaon ko prerna deta hai ,ek achchha rajneta banane se pahle use ek achchha insaan bannaa hoga .
yuva aapki baat ko samjhen aur aage aayen ,shubhkamnayen

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

new template !! nice, it's better than that white. That was not boring but this temp. is preity cool.
I have read your all posts about delhi and I am youth, that's why I like these thoughts. these are mine also.
O.K. Champ.
Best of luck for your creative writing.
I think (ab tum khush hoge.)