Varun Kumar Jaiswal

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Sunday 2 November, 2008

भारत की वर्तमान दशा एवं युवा !

आज हम भारत की वर्तमान दशा एवं विश्व की बदलती परिस्थितियों पर कुछ विचार करने का प्रयत्न करेंगे |
भारत की सम-कालीन चुनौतियों एवं उपलब्धियों पर एक नज़र डालने पर हम किन - किन बातों का उल्लेख कर सकते हैं ?
यदि उपलब्धियों को देखा जाए तो हम युवाओं को आज के भारत पर अभूतपूर्व गर्व की अनुभूति हो सकती है |
स्वतंत्रता के मात्र छः दशको में ही हम विश्व के शीर्ष राष्ट्रों में गिने जाते हैं |
११७ कोटि जनसँख्या के देश में खाद्द्यान के लिए आत्मनिर्भर होना एक बड़ी जीत मानी जा सकती है |
नाभिकीय क्षमता के मामले में विश्व के छः शीर्ष देशों में शक्ति - संतुलक के रूप में हमारी भूमिका हमे गौरोवान्वित करती है |
विश्व की आर्थिक क्षमताओं में हमारी उपलब्धता शीर्ष चार तक पहुँच गई है |
विश्व की चौथी सबसे बड़ी सैन्य क्षमता भारत की है |
तकनीक में भारतियों का लोहा आज सारे जग में माना जाता है |
भारत ने स्वयं की नाभिकीय क्षमता विकसित की है |
दक्षिण एशिया में ९०% उद्योग भारत में ही संचालित हो रहे हैं |
विश्व का सबसे सम्मानीय एवं वृहद् लोकतंत्र भारत ही है |
भारत की लोकतान्त्रिक प्रणाली प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं सूचना के अधिकार को समर्थन प्रदान करती है |
अनेकता में एकता का नारा जिसने भारतीयों को सांस्कृतिक-राष्ट्रवाद के माध्यम से एकीकृत रखा है |
भारतीय उपमहाद्वीप कहा ही जाना इस बात की ओर संकेत करता है है कि हम विभिन्न बोलियों , भाषाओँ , धर्मों ,
एवं दर्शनों के होते हुए भी एक राष्ट्र के रूप में विश्व-पटल पर हुंकार भर रहे हैं , जहाँ प्राचीन संस्कृतियाँ स्वयं को बचा पाने में असमर्थ रहीं वही हम अब भी एक राष्ट्र के रूप में अपनी चिर- कालीन संस्कृति को जीवित एवं पोषित कर रहे हैं |
खेलों कि दुनिया में भी हमारा सितारा अब शनेः-शनेः बुलंदियों को छू रहा है |
चंद्रयान की सफलता हमारे अन्तरिक्ष युग में प्रवेश की सूचना देता है |
चलिए अब हम चुनौतियों की बातें भी कर लेते हैं |
भारत की सम-कालीन चुनौतियों को देख कर ऐसा लगता है कि एक राष्ट्र के रूप में हमारे अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं|
विश्वव्यापी इस्लामिक आतंकवाद एवं अमेरिकी साम्राज्यवाद की काली छाया हमें छोटे-छोटे टुकडों में बाँट देने को तैयार है | हम अनेको रूप में इस प्रकार से बटे हुए हैं कि कोई भी हमारी तरफ़ आँख उठाकर देखने से गुरेज भी नही करता है |
पड़ोसी देश हमे भुनगे से ज्यादा कुछ नही समझते , और आतंकवादी घटनाएँ देश को पूरी तरह से झकझोरती जा रही है |
कट्टरपंथ शक्तिशाली होता जा रहा है साथ में प्रतिक्रियावाद भी अपना सर उठाए जवाबी करवाई कि तैयारी करता जा रहा है |
वोट बैंक के लालच में लोकतंत्र बोझ बन गया है |
सार्वजानिक जीवन में नैतिकता का लोप ही नैतिकता बनती जा रही है |
२६% आबादी भूखे सोती है, क्षेत्रीय विकास कि असंतुलित धाराओं ने भूभाग को राज्यों एवं राज्यों को मंडलों में बुरी तरह से बाँट कर हिंसा के सुपुर्द कर दिया है |
उच्च शिक्षा के मामले में हम भिखारी हैं |
भाषा की जटिलताओं ने हमारी जनसंख्या के अधिकाँश हिस्से को पूरी तरह से शोषित और जाहिल बना दिया है |
देश के अलग-अलग हिस्से पूरी तरह से झुलस रहे हैं |
संस्कृति को मानना आज जहालत की पराकाष्ठा मानी जा रही है |
मीडिया एवं पेज थ्री सभ्यता का एक वर्ग जानबूझकर हो या अज्ञानता-पूर्वक राष्ट्र की सनातन संस्कृति को नकारने एवं अपमानित करने पर तुला हुआ है |
खेलों में हम गुलामी के प्रतीकों को छोड़कर कुछ भी उत्कृष्ट करने के काबिल भी नही रहे |
संविधान का होना ही पर्याप्त मान लिया गया है , पालन करना सम्भव नही रहा | राजनैतिक इच्छा-शक्ति का अभाव सारी समस्याओं को विकराल बनाता जा रहा है |
ऐसे में अब हम क्या कर सकते हैं , चुप-चाप बैठकर तमाशा देखना आर्य सभ्यता ने हमे नही सिखाया |
अतः " उठो स्वयं को तुच्छ जान कर देश की बागडोर को युवा हाथों में सँभालने हेतु स्वयं को तैयार करो |
आज मातृभूमि हमसे ये आह्वान कर रही है कि 'रीढ़हीन से हमें मुक्त कर' इसलिए वर्तमान
राजनीती में प्रवेश करो और राष्ट्र को बेडियों से मुक्त करो |"

3 comments:

Ankit said...

When You think about the Whole Scenario by Which our country in not progressing in Superb Way, then you will find that " The Lack of Self Steem among all The people".
If we get it......
Then We will rock !!!!!

Ankit
(http://hi.pratham.net)

Asha Joglekar said...

युवा अगर जागृत हो तो क्या नही कर सकता । पर आज का युवा तो राजनीतीबाजों के तलवे सहलाने में लगा हुआ है ।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

स्वागत इस विशाल आकाश में, आपकी उड़ान नियमित हो यही कामना है