Varun Kumar Jaiswal

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Tuesday 11 November, 2008

लेकिन किंतु परन्तु बंधू..............................?


कुछ भी नया करने से पहले लेकिन , किंतु , परन्तु इस प्रकार की शब्दावली हमारे मन मष्तिस्क में इस प्रकार से छा जाती है , जैसे कि शिव की बारात में सारे गण भांग के नशे में बिल्कुल भी निर्णय-हीन अवस्था में पड़े हों |
मेरा मानना है कि इस प्रकार के शब्द जब भी हमारे मन मष्तिस्क में आते है ९० % तक मामला नकारात्मक होता है | एक अनुमान के मुताबिक आज सारे संसार का तीन चौथाई समाज किंकर्तव्यविमुढ़ता की स्थिति में जी रहा है | वह अपने निर्णयों के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नही हो पा रहा है | प्रबंधन के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है ' निर्णयन , अर्थात निर्णय को कम से कम जोखिम लेते हुए अधिक से अधिक परिपक्व बनाना | इस परिपक्वता की बानगी से सारे महत्वपूर्ण कार्य निष्पादित किए जाते हैं | निर्णय के बिन्दुओं को ध्यान-पूर्वक देखने से पता चलता है कि केवल वो निर्णय ही सफल निष्पादन कर सकते हैं जो कि पूरी तरह से निष्पक्ष मनोस्थिति में लिए जा सके |
निष्पक्ष स्थिति के निर्णय सिर्फ़ सामजिक और सांस्कृतिक बन्धनों को तोड़ कर लिए जा सकते हैं | इस प्रकार के निर्णयों से ही समाज में व्यापक बदलाओं कि शुरुआत होती है | ये निर्णय कैसे होते है ? इतिहास हमें इसकी पर्याप्त सूचनाएँ मुहैया कराता है कि आख़िर कैसे इन निर्णयों से समाज की दिशा और दशा दोनों में बदलाव का सृजन हुआ | कुछ उदाहरण लेते हैं जिन्होंने निर्णय की प्रक्रिया में मानव जाति पर अभूतपूर्व प्रभाव डाला |
कलिंग की रक्तरंजित विजय के पश्चात सम्राट अशोक का बौद्ध धर्म को स्वीकार करना जिसके बाद सही मायनों में एक धम्म को राजनैतिक सीमायें मिली | अशोक के इस निर्णय ने उसको विश्व का सबसे महान शासक बना दिया | किंतु ये निर्णय इतना आसान नही था | इसके चलते ही उसे अपने राज्य के कर्मकांड प्रेमियों के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा जिसके कारण अंततः मौर्य साम्राज्य के पतन की नींव पड़ी | किंतु आज हम अशोक को मौर्य साम्राज्य के वंशज के रूप में नही बल्कि अखंड भारत के सृजक के रूप में जानते हैं |
महात्मा गांधी के द्बारा दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत होने का प्रमाण-पत्र जलाने का निर्णय जिसने अंततः भारत की आज़ादी से लेकर बराक ओबामा के अमेरिकन राष्ट्रपति तक बनने की प्रेरणा दी | उस वक्त कोई भी गोरा सैनिक गांधी जी को गोली भी मार सकता था |
क्रिस्टोफेर कोलंबस का अपने देश की मर्जी के खिलाफ जाकर भारत की खोज में निकलना , जिससे मानव ने नई-दुनिया के लाभ प्राप्त किए |
| जीसस , मोहम्मद का लोगों से नई आस्था में शामिल होने की मांग करने का निर्णय जिसके पश्चात विश्व दो महान धर्मो के उदय का गवाह बना |
अडोल्फ हिटलर का यहूदियों के नरसंहार का निर्णय जिसने मानव-जाति को सबसे भयानक विभीषिका में झोंक दिया |
लिंकन ने दास-प्रथा के उन्मूलन का निर्णय लिया ,जिसने अमेरिकी इतिहास को रक्तरंजित तो किया लेकिन मानवता की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ दिया |
मार्टिन लूथर किंग का चर्च के झूठ मानने का निर्णय जिसने अंधविश्वास की जड़ों को खोद डाला |
स्पार्टाकस का गुलामी से इनकार करने का निर्णय जिसने इन्सान को बराबरी के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया |
उपरोक्त निर्णयों की बानगी देखने से यह पता चलता है की ये सारे निर्णय अपने समय में असाधारण साहस का परिचय देने वाले लोंगो ने लिए थे जिसके कारण हम मानवता के वर्तमान स्वरुप तक पहुँच पाये हैं | अब भी समय है जब की हम मानव जाति के लिए इसी तरह से कुछ निर्णय ले सकते हैं |
निर्णय बदलाव का सूचक है | मंथन और स्वचेतना दोनों ही इसे लेने और निष्पादित करने में सहायक होते हैं | निर्णय, छोटा हो या बड़ा उसका प्रभाव अवश्य पड़ता है | कुछ तो कठोर एवं कुछ संयत होते हैं | पूर्वाग्रहों से मुक्त होना निर्णयन की सबसे बड़ी परीक्षा है | निर्णय को लेते समय अयोग्य के प्रभाव से यथाशक्ति मुक्त होने का प्रयास करिए |
आइये यह एक निर्णय लेने का समय है |!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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