पंजाब हिंदुस्तान की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर बसा हुआ एक ऐसा सूबा है , जिसने शायद मुकम्मल हिंदुस्तान या कहें की अखंड भारत को सबसे अच्छी तरह से जिया है | पंजाब क्या है ( अर्थ ) पंज अर्थात पाँच और आब मतलब पानी , यह नाम पंजाब को कुदरत की देन उन पाँच नदियों के कारण मिला था जिनके साये में कभी पुरानी वैदिक सभ्यताये पली-बढ़ी थीं | ये जमीं सिन्धु , रावी , व्यास , सतलज और चिनाब का पानी अपने में समेटे हुए हम हिन्दुस्तानियों को बगैर हिंदू ,मुसलमान, सिक्ख के भेदभाव के ही पालती रही है | किसी ने ठीक ही कहा है कि ' कुदरत को बाँट दिया इंसानों ने जो कि सोचा भी न था शैतानो ने ' | बँटवारे के पहले कि बात करें तो हम देखते हैं कि पंजाब का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है | रामायण काल में लवपुर मतलब आज के लाहौर का उल्लेख मिलता है | तक्षशिला दुनिया का सबसे पुराना विद्यापीठ माना जाता है | सिकंदर के कदम इसी धरती का सामना करने के बाद वापस लौट चले थे | गुप्त काल में यह प्रान्त भारत की मुख्या सीमा बना रहा | सदा ही इसने इतिहास की सबसे जालिम कौमों के हमले को अपने सीने पर झेलते हुए हिंदुस्तान को खरोंचे भी न आने दी | कितने आए और इसमे समाहित हो गए लेकिन इसकी मिट्टी में आज भी उन बलिदानों की खुशबू आती है | आख़िर ऐसा क्या है यहाँ की मिट्टी में , कि हर बार यह मिट्टी सिरमौर बनकर एकता और अखंडता के लिए लड़ती दिखाई पड़ती है | शायद यही तो है धरती माँ से मोहब्बत का अटूट जज्बा जो की आम पंजाबी को पहले अपनी मिट्टी के लिए और हमें मुकम्मल हिंदुस्तान के लिए सोचने पर मजबूर कर देता है | पंजाब की असली संस्कृति तो हमारे सामने तब आती है जब एक महान नई सभ्यता इस्लाम ने इस धरती पर कदम रखा | मध्यकाल में मुल्तान , लाहौर और भटिंडा व्यापार के मुख्य स्त्रोत स्थल गिने जाते थे | जितनी लडाइयों ने यहाँ की नदियों को लहू से लाल किया उनमे से ज्यादातर इन्ही व्यापार केन्द्रों पर कब्जे और उपजाऊ जमीन से लगान वसूल करने के लिए की जाती थी | इस्लाम के आगमन के साथ ही पंजाब में नए दर्शन का भी आरम्भ हुआ | यह धरती न जाने कितने सूफियों , साधुओं , गुरुओं की शरणस्थली बन गयी | यहाँ के लोकगीत , भाषा , खान-पान पर अगणित संस्कृतियों का प्रभाव बड़ा ही स्पष्ट दिखलाई पड़ता है | इस धरती ने सभी आने वालों को समाहित कर लिया है , कदाचित इसीलिए पंजाबी सबसे ज्यादा मिलनसार स्वभाव के होते हैं | हिंदुस्तान की आज़ादी का सबसे बड़ा घाव भी पंजाब ने अपने टुकड़े करा कर , लाशों पे रो कर झेला था | भगत की दृष्टि , लाला की आवाज़, रणजीत का समभाव, नानक की दीक्षा सभी नफरत के सैलाब में बह गए थे | आज पंजाब ने उस विभीषिका से उबर कर हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों का ही पेट अपने श्रम से भरा है | दोनों की सियासत में पंजाबियों का दबदबा देखा जा सकता है | दोनों मुल्को में पंजाब एक तरह से विकास का प्रतिरूप है | विदेशी मुल्कों में पंजाबी बहुतायत पाये जाते है | आज पंजाब की धरती सम्पन्नता का सूचक है जो की फिल्मों में भी उसी रूप में दिखाई पड़ती है| गुरु की महिमा , खुदा की रहमत , ईश्वर की कृपा इस सरजमीं पर हमेशा रहेगी |.............................................................................................. हिन्दुस्तान जिंदाबाद |
Sunday 9 November, 2008
at 10:14 am | 1 comments |
ऐसा देश है मेरा ...................पंजाब
पंजाब हिंदुस्तान की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर बसा हुआ एक ऐसा सूबा है , जिसने शायद मुकम्मल हिंदुस्तान या कहें की अखंड भारत को सबसे अच्छी तरह से जिया है | पंजाब क्या है ( अर्थ ) पंज अर्थात पाँच और आब मतलब पानी , यह नाम पंजाब को कुदरत की देन उन पाँच नदियों के कारण मिला था जिनके साये में कभी पुरानी वैदिक सभ्यताये पली-बढ़ी थीं | ये जमीं सिन्धु , रावी , व्यास , सतलज और चिनाब का पानी अपने में समेटे हुए हम हिन्दुस्तानियों को बगैर हिंदू ,मुसलमान, सिक्ख के भेदभाव के ही पालती रही है | किसी ने ठीक ही कहा है कि ' कुदरत को बाँट दिया इंसानों ने जो कि सोचा भी न था शैतानो ने ' | बँटवारे के पहले कि बात करें तो हम देखते हैं कि पंजाब का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है | रामायण काल में लवपुर मतलब आज के लाहौर का उल्लेख मिलता है | तक्षशिला दुनिया का सबसे पुराना विद्यापीठ माना जाता है | सिकंदर के कदम इसी धरती का सामना करने के बाद वापस लौट चले थे | गुप्त काल में यह प्रान्त भारत की मुख्या सीमा बना रहा | सदा ही इसने इतिहास की सबसे जालिम कौमों के हमले को अपने सीने पर झेलते हुए हिंदुस्तान को खरोंचे भी न आने दी | कितने आए और इसमे समाहित हो गए लेकिन इसकी मिट्टी में आज भी उन बलिदानों की खुशबू आती है | आख़िर ऐसा क्या है यहाँ की मिट्टी में , कि हर बार यह मिट्टी सिरमौर बनकर एकता और अखंडता के लिए लड़ती दिखाई पड़ती है | शायद यही तो है धरती माँ से मोहब्बत का अटूट जज्बा जो की आम पंजाबी को पहले अपनी मिट्टी के लिए और हमें मुकम्मल हिंदुस्तान के लिए सोचने पर मजबूर कर देता है | पंजाब की असली संस्कृति तो हमारे सामने तब आती है जब एक महान नई सभ्यता इस्लाम ने इस धरती पर कदम रखा | मध्यकाल में मुल्तान , लाहौर और भटिंडा व्यापार के मुख्य स्त्रोत स्थल गिने जाते थे | जितनी लडाइयों ने यहाँ की नदियों को लहू से लाल किया उनमे से ज्यादातर इन्ही व्यापार केन्द्रों पर कब्जे और उपजाऊ जमीन से लगान वसूल करने के लिए की जाती थी | इस्लाम के आगमन के साथ ही पंजाब में नए दर्शन का भी आरम्भ हुआ | यह धरती न जाने कितने सूफियों , साधुओं , गुरुओं की शरणस्थली बन गयी | यहाँ के लोकगीत , भाषा , खान-पान पर अगणित संस्कृतियों का प्रभाव बड़ा ही स्पष्ट दिखलाई पड़ता है | इस धरती ने सभी आने वालों को समाहित कर लिया है , कदाचित इसीलिए पंजाबी सबसे ज्यादा मिलनसार स्वभाव के होते हैं | हिंदुस्तान की आज़ादी का सबसे बड़ा घाव भी पंजाब ने अपने टुकड़े करा कर , लाशों पे रो कर झेला था | भगत की दृष्टि , लाला की आवाज़, रणजीत का समभाव, नानक की दीक्षा सभी नफरत के सैलाब में बह गए थे | आज पंजाब ने उस विभीषिका से उबर कर हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों का ही पेट अपने श्रम से भरा है | दोनों की सियासत में पंजाबियों का दबदबा देखा जा सकता है | दोनों मुल्को में पंजाब एक तरह से विकास का प्रतिरूप है | विदेशी मुल्कों में पंजाबी बहुतायत पाये जाते है | आज पंजाब की धरती सम्पन्नता का सूचक है जो की फिल्मों में भी उसी रूप में दिखाई पड़ती है| गुरु की महिमा , खुदा की रहमत , ईश्वर की कृपा इस सरजमीं पर हमेशा रहेगी |.............................................................................................. हिन्दुस्तान जिंदाबाद |
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1 comments:
अत्यन्त रोचक !
acche prayas ke liye badhai . kahate hai ki punjabi ek aise kom hoti hai jo har paristhithi se ladana aur khush rahana janti hai aur kisi ke aage hath nahi failati. bilkul sach hai yah bat.
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