भारत निर्माण एक ऐसी संकल्पना है जिसको स्वतंत्रता के वर्षों बाद भी हम भारतवासी एक सपने की तरह जी रहे हैं | करोड़ों सपने हर दिन टूटते हैं लेकिन आस कभी धूमिल नहीं पड़ती | सबके पास अपने जीने की वजहें तो हैं लेकिन कोई भी इस देश से इतर नही जीना चाहता |
- क्या हम अपने सपनों को भारत देश का सपना बना सकते हैं ?
- क्या वाकई जैसे आदर्शों का सपना हमारी मातृभूमि ने स्वतंत्रता के समय देखा था वो पूरे होंगे |
- जो घाव देश के सीने में लगे हैं क्या वो भरे जा सकते हैं ?
- क्या हमारी वसुंधरा मानव को अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना कह पाएगी ?
मित्रों नववर्ष कुछ ही दिनों में आरम्भ होने को है | मेरी आप सबसे प्रार्थना है कि मातृभूमि के इन प्रश्नों का उत्तर ढूँढने में कृपया मेरी सहायता करें | देश के लिए हम व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तरों पर क्या - क्या कर सकते हैं ?
अपनी टिप्पणियों से मार्गदर्शन देशहित में अवश्य दें | कृपया अपने सुझावों को क्रमबद्ध रूप में रखें | सुझाव देने से पूर्व पिछले सुझावों को देखकर दोहराव न हो यह सुनिश्चित करें |
१ जनवरी २००९ को आप सभी के मार्गदर्शन से आने वाले सुझावों को इसी चिट्ठे पर एक शपथपत्र का रूप देकर हम सभी देशहित में संकल्प लेने का प्रयास करेंगे |
" वंदे मातरम् "
" सत्यमेव जयते "
अपनी टिप्पणियों से मार्गदर्शन देशहित में अवश्य दें | कृपया अपने सुझावों को क्रमबद्ध रूप में रखें | सुझाव देने से पूर्व पिछले सुझावों को देखकर दोहराव न हो यह सुनिश्चित करें |
१ जनवरी २००९ को आप सभी के मार्गदर्शन से आने वाले सुझावों को इसी चिट्ठे पर एक शपथपत्र का रूप देकर हम सभी देशहित में संकल्प लेने का प्रयास करेंगे |
" वंदे मातरम् "
" सत्यमेव जयते "
11 comments:
आपके साथ हम भी मातृभूमि को नमन कर रहे हैं। वंदे मातरम्।
चलिये आज अपने मन की बात कह देते हैं । बहुत से नारे और तकबीरें सुनी लेकिन अपना मानना है कि देश को समृद्ध बनाने का तरीका सरल है । जिस हाल में तुमने देश को पाया उससे बेहतर में छोडो और ये काम रोज करो । भले ही एक छोटा काम रोज करो, जैसे सडक पर कूडा मत डालो । अगर वाहन चलाओ तो यातायात के नियमों का पालन करो ।
होने को ये भी हो सकता है कि एक काम को एक महीने तक करो और फ़िर जब तो आपकी आदत बन जाये तो दूसरा काम हाथ में लो । अक्सर होता ये है कि हम बहुत सारी बातें एक साथ सोचकर उनमें खो जाते हैं और अमल एक पर भी नहीं कर पाते । अगर देश के सभी लोग अपनी अपनी समझ से सरल से सरल काम को भी हाथ में लेंगे तो १०० करोड की जनसंख्या वाले देश में कोई समस्या बाकी नहीं रहेगी ।
Just my two cents, :-)
सपने क्या हो आदर्श क्या हो पहले यह तो तय हो . आज़ादी के समय की बात छोडिये हमने आग मे घी डाला था . मुस्लिम को मंत्री बनने की बजाये अपनी बहिन को प्राथमिकता देना नेहरू की अक्षम्य भूल थी खैर छोड़ो कल की बातें कल की बात पुराणी नए दौर मे लिखो मिल कर नई कहानी
हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं , प्रत्येक नागरिक अपने कर्तब्यों का पालन सही ढंग से करें , बस इतना ही काफी है देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए।
अगर हर भारतवासी अपना और अपने परिवार का, उनकी सुरक्षा का, उनमे देश के प्रति लगाव का, उनमे इमानदारी का और सिर्फ़ अपने घर की उन्नति का ख्याल रख सके, तो मैं समझता हूँ देश कहाँ से कहाँ जा सकता है क्योंकि अगर सब ऐसा करेंगे तो इस समाज, इस देश का निर्माण तो होना ही है
वंदे मातरम्
देश से संकल्प करने से पहले खुद से संकल्प करना होगा
हम सभी स्वार्थी हो गए हैं ,जब तक अपने स्वार्थ से परे नहीं सोचेंगे शायद हम यूं ही
संकल्प लेने का नाटक भर करेंगे और मुक्त हो जायेंगे .इसके लिए देश से प्रेम और वफादारी की जरूरत है
मातृभूमि प्रणमामि अहम्
वन्दे मातरम
बन्धुवर, मैं तो सदा पांच परसेण्ट इम्प्रूवमेण्ट की सोचता हूं। हम जैसा कर रहे हैं, उससे कुछ बेहतर करें। बस काम बन जायेगा।
दिगंबर नासवा,ज्योत्स्ना पाण्डेय और ज्ञान दत्त पाण्डेय जी के विचारों को मिला दिया जाए तो उत्कृष्ट भारत का नक्शा तैयार हो जाए.
सब से पहले हमे अपने को बदलना होगा, हमे देख कर ओर बदलेगे, फ़िर सारे देश वासी बदलेगे बस यही एक रास्ता है भारत को फ़िर से सोने की चिडिया बनाने का, इसे समभाले रखने का
बंदे मातरम
भारत लोकशाही राष्ट्र है.... हां वक्त के साथ हम अपने अधिकारों के प्रति सचेत ही नहीं हुए.... और हम राजनेताओं के गुलाम बन कर रह गए.... हमारे देश को सोने की चिडिया के रुप में जाना जाता है... और सोने की चिडिया की पहचान बरकरार रखने के लिए मैं सिर्फ इतना ही कहूंगी... साथी हाथ बंटाना... एक अकेला थक जायेगा मिलकर बोझ उठाना.... इस दिशा में हर नागरिक की सोच बहेगी तभी हम वास्तविक स्थिति का सामना कर सकेंगे कि जिससे आज हमारा देश, यहां का हर नागरिक झूझ रहा है, लड रहा है.. सिर्फ नेताओं के भरोसे हम अपने भारत को नहीं छोड सकते ना! हमारा भी फर्ज बनता है इस मिट्टी के लिए... जय हिंद
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