Varun Kumar Jaiswal

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Friday 26 December, 2008

ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना कौन है ? स्त्री या पुरूष !!! मार्गदर्शन करें ||


आज जब मैं मित्रों के साथ कंपनी के कैंटीन में बैठा था , तो अनायास ही ये चर्चा निकल पड़ी कि धरती पर सर्वश्रेष्ठ मानव है , किंतु धरती की परवरिश ने इन दोनों (स्त्री एवं पुरूष ) में से किसे ज्यादा परिष्कृत किया है |
ये प्रश्न शायद बेतुका लगे किंतु एक गूढ़ अर्थ में इसका हमारे मनोविज्ञान पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है | शायद उत्तर में ही क्रांति के बीज छुपें हों |
कैंटीन की चर्चा में सखाओं एवं सखियों में ज़बरदस्त शास्त्रार्थ हुआ किंतु निष्कर्ष नहीं निकल सका |
मित्रों कृपया मेरे इस असमंजस को दूर करने का तर्कसंगत सहयोग करें | अपनी टिप्पणियों के माध्यम से आप
मेरा मार्गदर्शन अवश्य करें |
धन्यवाद |

" सत्यमेव जयते "||

15 comments:

Arvind Mishra said...

समग्र रूप से दोनों एक दूसरे के पूरक हैं -कोई एक दूसरे से श्रेष्ठ नही है ! कुछ मामलों में नारी अधिक क्षम है तो कुछ में पुरूष ! प्रकृति में दोनों की भूमिकाएँ भी अलग अलग रही हैं मगर अब रोल रिवर्जल भी तेजी से दिख रहा है जिसके अपने अन्तर्निहित खतरे तो हैं मगर एक नयी वैकासिक संस्कृति परवान चढ़ रही है .इसे कुछ कीमत तो चुकानी होगी पर हो सकता है यह रोल रिवर्सल आगामीं कुछ हजार सालों में कुछ सीमा तक स्थाई भी हो जाय -पर तब भी पुरूष गर्भ शायद ही धारण करे ! क्या समझे ?

सुजाता said...

देखिए प्रकृति ने किसी को भी स्वयम्भू नही बनाया है और न ही पूर्ण। पूर्णता और श्रेष्ठता केवल भ्रम हैं और अहंकार जगाते हैं।इस अहंकार के चलते ही एक प्राणी दूसरे को अपने लिए इस्तेमाल करता और दबाता है।आपने विज्ञान मे पढा होगा कि भोजन चक्र मे से किसी नाचीज़ को भी बाहर कर दिया जाए तो जीवन चक्र टूट जाता है और सभी प्राणी संकट मे आ जाते हैं।
इनसान की भलाई इसे ही मानने मे है(क्योंकि सोचने की क्षमता उसी के पास है,जिन जीवों के पास नहीं वे अहंकार रहित समर्पण प्रकृति की शक्ति के सामने करते हैं)कि वह अपूर्ण है।

रवि रतलामी said...

चूंकि मैं स्वयं पुरूष हूं, अत: ये बात तो मैं यकीनन, शर्तिया कह सकता हूं कि ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना पुरुष तो किसी भी कोण से कतई नहीं है!

Anil Pusadkar said...

श्रेष्ठ साबित करना यानी दूसरे को कम बताना है और इससे बेहतर है दोनो को ही श्रेष्ठ मान लिया जाय्।

नीरज मुसाफ़िर said...

भाई वरुण जी, नमस्कार.
स्त्री और पुरुष में कौन श्रेष्ठ है? मैं बताऊँ?
स्त्री. मुझे तो वे ही श्रेष्ठ लगती हैं.

विवेक सिंह said...

भैया हमें तो स्त्रियाँ पुरुषों से श्रेष्ठ लगती हैं :)

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

इस प्रश्न का उत्तर तो ईश्वर ही जाने शायद वह भी न बता पाये .

डॉ .अनुराग said...

वैसे तो अरविंद जी ओर सुजाता जी ने सारा सार कह ही दिया है लेकिन इश्वर की सबसे श्रेष्ठ रचना एक नन्हा बच्चा है....मासूम ,सच्चा .गुन दोषों से परे......

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

वरुण जी,
सर्वश्रेष्ठ के विवाद में ना पड़ कर एक बात बताना चाहूंगा कि प्रकृति ने नर को ज्यादा सुंदर बनाया है।
आप शेर को देख लें। हाथी को देख लें। बारहसिंघे की तुलना कर लें। मोर या अन्य परिदों को देखें। सब जगह नर ज्यादा खूबसूरत दिखता है।

hem pandey said...

वैसे तो निश्चित ही दोनों एक दूसरे के पूरक हैं किंतु ईश्वर ने नारी को माँ बना कर ऊंचा दर्जा दे दिया है :
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति

समयचक्र said...

नर और नारी एक दूसरे के पर्याय है एक प्रकार से दोनों ही अनमोल रचना है .कोई एक दूसरे से श्रेष्ठ नही है....

Ankit said...

रचना कभी भी बुरी नही होती. वो कहतें है ना की हरेक सिक्के के दो पहलु होतें है, ठीक उसी तरह ये बात भी इस प्रश्न में लागु होती हैं.
किसी को सर्वश्रेष्ठ कहना या कहें मानना हमारे उपर होता है. सब चीजें सबकों पसंद नही होती.
ये पुरे तरह से आप पे निर्भर करता है की आपको कौन अच्छा लगता है.

स्त्री और पुरूष दोनों महान हुए हैं. अगर इनमे से कोई भी दुसरे से कमतर होता तो भगवान उसकी सृष्टि ही क्यों करतें. हम भी अन्य कई जानवरों की तरह उभयलिंगी होतें.

तो अच्छे रूप में स्त्री भी महान होती है और पुरूष भी.अब जो आपके लिए जैसा करेगा आपके नजरों में वो वैसा ही रहेगा चाहें तो वो स्त्री हो या पुरूष, और मन कभी पक्षपात नही करता.
अंकित

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

bahut sundar prashn.............

main sujata ji ke uttar se sahamat hoon .bahut vivechanaa ho chuki ,isliye kuchh shesh nahin.
arvind ji ne bhi achchha uttar prastut kiya .

dhanyawaad aur shubh kamanaayen

surendra said...

वैसे तो ईश्वर की प्रत्येक रचना अद्वतीय है, परन्तु इंसान सर्वोत्तम है और उसमें भी स्त्री को असीमित छाम्ताएं प्रदान कर के उसे महानतम बना दिया है| यदि आज अचानक सभी पुरुस समाप्त हो जाएं तो भी मानव रचना नहीं रुकेगी, परन्तु स्त्री जाती के समाप्त हो जाने पर आगे की रचना भी समाप्त हो जायेगी

Unknown said...

स्त्री और पुरुष सबसे श्रेष्ठ कौन है यह बात हमेशा से विवाद में रही है पर मैं सोचता हूँ की स्त्री ही सबसे श्रेष्ठ है जैसे आम्रपाली सबसे सुंदर स्री ने कई पुरुषो को अपने सुंदरता के जाल में फंसा लिया था.