Varun Kumar Jaiswal

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Thursday 1 January, 2009

हमें चाहिए १००० धीरुभाई अम्बानी ..!! जरुरत है गुरु की ...||

१९ नवम्बर , सन् १९७२ भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति , स्व. वाराहगिरी वेंकटगिरी , दक्षिण अमेरिका के एक देश ब्राजील के दौरे पर होते हैं | उस दिन उन्हें ब्राजील के एक शहर सैल्वाडोर ( SALVADOR ) में एक विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह ( AUDITORIUM ) का उदघाटन करना था |

वहां के समारोह में श्री गिरी का परिचय उदघोषक ने कुछ इस प्रकार करवाया था |
" आज हमारे मुख्य अतिथि श्री वा. वे. गिरी ( राष्ट्रपति भारत देश ) जी हैं | आप सभी की जानकारी के लिए बता दें कि तीसरी दुनिया का एक प्राचीन देश भारत है जहाँ आज भी लाखों लोग गले में साँप लटकाए हुए नंगे घूमते हैं |भारत नदियों , पहाडों का वह देश है जिसमें अंधविश्वासों का बोलबाला है साधू एवं फ़कीर इस देश को चलाते हैं |महात्मा गाँधी नाम का व्यक्ति इस देश में हुआ था जिसने ब्रिटिश लोंगों से आज़ादी दिलाई थी | इनके देश में आज भी ५० % की जनसँख्या भूखी सोती है | यह देश विश्व बैंक के सबसे बड़े कर्ज़दार देशों में से है | "
( उपर्युक्त परिचय श्री गिरी के कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले आगंतुकों को सभा प्रारम्भ होने के ३० मिनट पूर्व दिया गया था | )

शायद आज हममें से कुछ लोग चौंक पड़ें , लेकिन तत्कालीन भारत की वही पहचान थी | अगर आज हमें भारत बदला हुआ दिखाई दे रहा है तो इसका श्रेय जाता है तीव्र औद्योगीकरण को , जिसके नायक थे स्व. धीरजलाल हीराचंद अम्बानी | स्वतंत्र भारत को अगर तेजी से विकास की रफ़्तार पर ले जाने का श्रेय किसी को जाता है तो वह व्यक्ति सिवाय धीरुभाई के कोई हो ही नहीं सकता | यह व्यक्ति ना सिर्फ़ भारत की औद्योगिक क्रांति का नायक बना बल्कि हर क्रांति के पुरोधा की तरह अपना सम्पूर्ण दर्शन भी हमारे सम्मुख छोड़ गया |

भारत अगर आज वाकई एक महाशक्ति बनना चाहता है तो हमें करोड़पतियों की एक ऐसी फौज चाहिए जो कि विकास चक्र को पर्याप्त मात्र में ईंधन उपलब्ध कराती रहे | आज की सृष्टि में तो इसका कोई विकल्प नहीं है |
जरा धीरुभाई के दर्शन को देखें कैसे वो हमें प्रेरित कर रहा है ?

धीरुभाई ने इस सिद्धांत को सबसे ज्यादा सफल बनाया कि हर धन्धे का बाप पकडो कारोबार अपने आप बढेगा |मतलब कि श्रृंखला की प्रथम कड़ी से मुनाफा बनाकर तुंरत अगली कड़ी को व्यवसाय में जोड़ लो , रिलायंस का ही उदहारण लें तो सबसे पहले पोलिस्टर बेचना , फ़िर उसे बनाना , फ़िर उसके धागे का विनिर्माण , फ़िर धागे की जरुरत के केमिकल का निर्माण , फ़िर केमिकल के स्त्रोत पेट्रोलियम की रिफायनरी की क्रमबद्ध श्रृंखला ने रिलायंस को आज कहाँ पंहुचा दिया |

दूसरा सिद्धांत था कि देशहित में मौजूदा सड़े हुए व्यावसायिक विधान को मानने का कोई मतलब नहीं | अम्बानी के तीव्र विकास का ही प्रतिफल था कि १९९१ में भारत को नेहरूवादी अर्थव्यवस्था से मुक्ति मिली | ( संदेह हो तो नियमों मसलन ( MRTP ACT 1969 ) के बदलाव में रिलायंस की भूमिका देखें |

तीसरी बात थी कि कारोबार में जितना कमाओ सामने वाले को उससे ज्यादा दो | आज करोड़ शेयर धारकों में से जिसने भी साल से ज्यादा शेयर को रखा है उसे इस बात की सत्यता से कोई परहेज़ होगा |

अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात भारत के युवाओं को आत्मनिर्भरता का वो सपना देना जिससे विकास हमारी शर्तों पर हो कि किसी और देश से नौकरी और गुलामी आयात करके | इसी सपने ने ' देश का श्रम देश के लिए ' की भावना बढाई और अन्य व्यापारिक दिशाओं पर तेजी से बढ़ते हुए उद्यमियों को प्रोत्साहित भी किया |

आज भारत को यदि आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरना है तो हमें आज ऐसे गुरुओं की आवश्यकता है जो की १००० धीरुभाई देश के लिए तैयार कर सकें |

" सत्यमेव जयते " ||

10 comments:

Himanshu Pandey said...

धीरू भाई का संकल्प और उनका परिश्रम निश्चय ही अनुकरणीय है. धीरू भाई की गहरी दृष्टि ही उनकी सफ़लता का सूत्र थी. उन्होंने भारत को एक नयी पहचान दी इसमें कोई शक नहीं हैं.
आलेख के लिये धन्यवाद.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

अब आपकी खोज सिर्फ़ ९९९ धीरू भाई की रह गई है

Vivek Gupta said...

सुंदर

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

kya sachmuch bharat ke bare me aisa kha jata tha, kamal hai vishvasnahi hota. narayan narayan

K.P.Chauhan said...

isme koi shak nahin ki dheeru bhai udy0g jagat ke yodha the .par unki or unke suputron ki vastviktaa se aap parichit nahin hain .unhone shareholders ko to kamwaayakyon ki unko kamwana unki majboori hai yadi sharholder aaj hath khinch le to arbon kharbon kaa samrajya 2minit me khatm ho jaaygaa .unke is samrajya me jo bhi unke saath judaa use to bhikhari hi banaa diyaa hai aaj desh ke lakhon log jinme vyaapaari or majdoor is khandaan ko galiyon ke siwa kuchh bhi nahi dete kyonki unse unkaa dhandha ,yaa majdoori tak cheen li gai hai unke bachche bhukhe mar rahe hai.or naa jaane kitne hi aatmhatyaa bhi kar chuke honge inme sabji vendor se lekar kissan or chhote vyapaari adhik hain .yah ambaani pariwaar jis kshetra me bhi gyaa hai usi me lakho logo ko bhookh or tadfanke siva kuchh bhi nahin diyaa inke aise hi karnamon ke liye karodo badduaaye pritidin dee jaa rahi hain par kalyug me garibon ki to bhagwan bhi nahi suntaa .aaj hamare sarkaren bhi unhi kaa gaana gaati hain kyonki inke binaa unkaa bhi gujaara nahin hotaa .chanda to sab ko chahiye ye dono bhai chakrawati samraat banne ke chakkar me desh ke prtyek vyakti ko apnaa nokar banakar rakhnaa chaahtaa hai or wo bhi aisaa jo roti ke liye inke samne haath felaaye rakhe or ye aik aik tukda unke samne dalte rahe .naa wo mar sake or naa hi jindaa rah sake inhone apnaa jaal aisaa fela rakhaa hai ki sarkaaren bhi aati jaati rahti hain par inhi sehat par koi asar nahin padta whan par bhi inki hi sarkar chalti hai isliye koi bhi kuchh inke khilaap nahin kartaa whan inki puri saanth gaanth hai .yadi or wastviktaa janni hai to jantaa se jaakar puchhiye yadi meri taraf se koi kasar bachi ho to kirpyaa mujhe likhen or khulasa karke likh dungaa . yadi aap ke paas mukesh ambani ki site ho to mujhe mail karne ki kirpaa karen

राज भाटिय़ा said...

मेने गुरु फ़िल्म देखी..... उस से क्या शिक्षा मिलती है?????? आप बतायेगे???
देश जाये भाड मै अमीर बनो, किसी भी तरह से... चाहे अपना इमान भी बेचना पडे... पेसे के पीछे..... नही हमे नही बनाना धीरु भाई...कोई चरित्र वान व्यक्ति से तो हम सीख सकते है बहुत कुछ, चाहे वो हमारा नंगा बापू ही क्यो ना हो, वो इस भाई से बहुत अमीर है
धन्यवाद

K.P.Chauhan said...

guru ke kuchh gur.
desh ko kaise nichodnaa hai .
deshwasiyon ko kaise nichodnaa hai.
apni tankhaa 22karod ko 40 karod kaise karnaa hai .
apnaa 27 manjil kaa makaan kis kiskee jhopad patti tod kar banana hai,
tex kaise bachaanaa hai .
netaji ko kaise oblize karnaa hai
sahi tarh chalte sarvjanik sansthaan ko kaise kharidnaa hai .
uske majduron or distibutors ko kaise dhakkaa denaa hai .
vishvash karne walon ke saath vishwashgat kaise karnaa hai

Varun Kumar Jaiswal said...

साथियों , धीरुभाई अम्बानी पर आप लोगों के विचार पढ़े |
आप सभी को इसका उचित उत्तर मैं एक अन्य लेख में देने का प्रयास करूंगा |

Dev said...

Bahut sundar jankari ke liye dhanyvad....

Anonymous said...

now I see it!