Varun Kumar Jaiswal

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Sunday 4 January, 2009

भारत में विवाह की सबसे सामान्य शर्त क्या होती है ...???!!


कहते हैं कि विवाह सामाजिक रूप से एक समझौता होता है और व्यक्तिगत रूप से प्रेम के बंधन का सामाजिक स्वरुप | भारत में विवाह एक बहुत ही सम्मानजनक संविदा ( CONTRACT ) के रूप में मान्य है |

हर समझौते के लिए कुछ शर्तें आवश्यक होती हैं , फ़िर ये तो सिर्फ़ दो व्यक्तियों बल्कि बहुत हद तक दो परिवारों एवं एक हद तक पूरे समाज को प्रभावित करने वाला समझौता है |

भारत का सामाजिक स्वरुप एवं विवाह के प्रति दृष्टिकोण भी विश्व के बहुत सारे देशों से सिर्फ़ भिन्न है , बल्कि वैवाहिक रिश्तों कि परिणिति भी अलग प्रकार से व्यक्त होती है | ऐसे में संसार के बाकि हिस्सों में विवाह संबन्धी शर्तें अलग मान्यताओं पर आधारित हो सकती हैं |

मेरा यह प्रश्न है कि भारत में विवाह की सबसे प्रारंभिक एवं सामान्य शर्त कौन सी है ? जिसको पूर्ण करने या जिसके प्रति वचनबद्ध होने से विवाह को सामाजिक मान्यता प्राप्त हो जाती है ?

कृपया मेरा मार्गदर्शन करें .......................................!!!!

" सत्यमेव जयते || "

16 comments:

Vivek Gupta said...

पहली शर्त है कि यह बिना शर्त होगा | जीवन में कोई भी परिस्थिति हो पर आत्मिक प्रेम बिना शर्त होगा |

Udan Tashtari said...

दिनेश राय जी ही कानूनी सलाह दे पायेंगे.

राज भाटिय़ा said...

क्या भारत मै अब विवाह ओर प्रेम शर्तो पर किये जाते है?? भाई हम ने तो आग्नि को साक्षी मान कर ओर पुरे खानदान के लोगो के सामने वचन दिये थे, सुख दुख मै साथ जीने मरने के.
धन्यवाद

K.P.Chauhan said...

do hirdayon ke spandan ki anubhuti or unka samanjasya hi ,kewal aik shart hai

Science Bloggers Association said...

शर्त यही कि सब कुछ हंसते रोते सहना ही होगा।

Alpana Verma said...

किसी भी सम्बन्ध में शर्तें नहीं होनी चाहिये..आपसी समझदारी होनी चाहिये.
वैसे भारतीय संस्कार ऐसे हैं कि हर रिश्ते को अंत तक निभाते जाओ..हर परिस्थिति में ख़ुद को ढाल सको.
तभी आज भी भारतीय परिवारों में एकता है.
ऐसे बंधन आसानी से टूटते नहीं
samany shart--phir bhi aap poochtey hain to har vyakti ki apni alag raay hogi..

hem pandey said...

सफल विवाह के लिए एक ही शर्त है कि कोई शर्त न हो.

Gyan Dutt Pandey said...

सप्तपदी तो चलना ही होता है विवाह के लिये।

दिगम्बर नासवा said...

मुझे नही लगता की भारत में विवाह एक कोंट्राक्ट है, अग्नी को साक्षीं मान कर किया गया पवित्र बंधन मना गया है इसको और मुझे लगता है इसकू ऐसा ही मानना चाहिए

Amit Kumar Yadav said...

''स्वामी विवेकानंद जयंती'' और ''युवा दिवस'' पर ''युवा'' की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बधाई. बस यूँ ही लेखनी को धार देकर अपनी रचनाशीलता में अभिवृद्धि करते रहें.

PREETI BARTHWAL said...

शर्तो से व्यापार ही हो सकता है। विवाह तो ऐसा बन्धन है जो विश्वास की डोर से और प्रेम से बन्धा होता है और ये ही इसे मजबूत करता है ये मेरा मानना है। क्योंकि चाहे समाज के सामने शर्तों से कितने ही बन्धन बांध लिए जाये, जबतक उनमें विश्वास और प्रेम से निभाने की इच्छा नही होगी वो आगे नही बङ सकता।

Arvind Gaurav said...

pyar to pyar hota hai,pyar ke bina koi rista nahi banaya jata...to pyar me shart kaisaa

रवीन्द्र प्रभात said...

सफल विवाह के लिए शर्तें नहीं होनी चाहिये..आपसी समझदारी होनी चाहिये.

Akanksha Yadav said...

Agree With Ravindra ji.
बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
कभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !!

નીતા કોટેચા said...

koi bhi rishta tabhi tikta hai jab ek dusre ki sabhi buraiya haste haste swikar lo...aur apne aapko unki tarah dhal do...bas sharnagati...sab sahi hi hoga...

KK Yadav said...

पतंगा बार-बार जलता है
दिये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है !
.....मदनोत्सव की इस सुखद बेला पर शुभकामनायें !!
'शब्द सृजन की ओर' पर मेरी कविता "प्रेम" पर गौर फरमाइयेगा !!